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केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का धंधा –

दबंग आवाज
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छत्तीसगढ़ के निजी नर्सिंग होमस् में लंबे समय से स्त्रियों को केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का काम धड़ल्ले से चल रहा था। यहाँ तक कि 28-30 साल तक कि आयु वाली स्त्रियों के गर्भाशय भी अकारण निकाले गये। 20-25 हजार रुपये कमाने के चक्कर में केंसर का भय दिखाकर महिलाओं के गर्भाशय निकालने के इस धंधे में गाँव से लेकर शहर के बड़े नर्सिंग होमस् तक पूरे प्रदेश में बड़े बड़े रेकेट काम कर रहे हैं, कम से कम स्वास्थ्य विभाग की अभी तक की जांच में इसी तरह के तथ्य उभर कर सामने आये हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार, 11जून’2012, को राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी करके प्रदेश के सभी नर्सिंग होमस् से रिपोर्ट मंगाने का फैसला किया है कि उनके अस्पताल में कब और कितनी महिलाओं के गर्भाशय का आपरेशन किया गया। राज्य के हेल्थ कमिश्नर प्रताप सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर इसके निर्देश दिए हैं।

राजधानी के कुछ प्रतिष्ठित चिकित्सों और चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों तथा कुछ भुक्त भोगियों का कहना है कि राज्य के शहरी क्षेत्र में तो स्त्रियों के गर्भाशय निकालने का यह धंधा पिछले काफी सालों से जमकर चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका विस्तार पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, जहां छोटे डाक्टर, निजी नर्सिंग होमस् के दलाल और कुछ मामलों में मितानिनें भी इसमें शामिल हैं। आश्चर्यजनक रूप से इस तरह के आपरेशन भी महिला सर्जनों के द्वारा ही किये जा रहे हैं।

पूरे मामले का पर्दाफाश रायपुर जिले के अभनपुर ब्लाक के डोंगीतराई, हसदा और मानिकचौरी गाँव से हुआ, जहां पता चला कि एक दो साल के भीतर ही मात्र पीठ में दर्द की शिकायत करने पर ही अनेक स्त्रियों के गर्भाशय निकाल दिए गये हैं। सभी मामलों में गाँव में घूमने वाले डाक्टरों के दलालों ने पीड़ित स्त्रियों की सोनोग्राफी करवाई। सामान्य इनफेक्शन होने पर भी उन्हें केंसर का भय दिखाया गया और सर्जरी की सलाह दी गई। ऑपरेशन करने से पहले यह भी गारंटी दी गई कि अब उन्हें सभी तरह की तकलीफों से मुक्ति मिल जायेगी। इसके बाद कम उम्र की युवतियों के गर्भाशय भी निकल दिए गये। इसमें से ज्यादातर ऑपरेशन रायपुर, राजिम, और अभनपुर के निजी अस्पतालों में किये गये। जिन महिलाओं के आपरेशन किये गये, जब उनकी सोनोग्राफी रिपोर्ट एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा जैन को दिखाई गयी तो उनका कहना था कि पीआईडी याने पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज में जब तक अंदर से सॉलिड या काम्प्लेक्स का जिक्र नहीं होता है , सब नार्मल रहता है, जिसका मतलब है सर्जरी जरूरी नहीं है। राजधानी के मेडिकल कालेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति नागरिया ने भी कहा कि सर्जरी करने के लिए केवल सोनोग्राफी की रिपोर्ट काफी नहीं है।

मामला प्रकाश में आने के बाद मुख्य मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को जांच के आदेश दिए। स्वास्थ्य विभाग ने उपर उल्लेखित गाँवों में जाकर सर्वे किया। प्रारंभिक रिपोर्ट में ही इस बात की पुष्टि हो गई कि कुछ नर्सिंग होम संचालकों ने गर्भाशय निकालने को ही अपना धंधा बना लिया है। जांच टीम के सामने 22-25 साल की महिलाएं भी आईं, जिनके गर्भाशय केंसर का भय दिखाकर निकाल दिए गये थे। प्रारंभिक रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए पूरे राज्य में जांच के आदेश राज्य शासन ने दिए हैं।

एक भुक्त भोगी से संपर्क होने पर उसने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि वे अपनी पत्नी के ब्लड प्रेशर की जांच के लिए शहर के एक डी.एम के पास गये थे, जो मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर होने के साथ निजी प्रेक्टिस भी करते थे। डा. ने उनकी पत्नी को सोनोग्राफी कराने के लिए कहा| सोनोग्राफी देखने के बाद उन्होंने शहर की एक प्रतिष्ठित महिला सर्जन के नर्सिंग होम सोनोग्राफी दिखाने भेजा। वो सज्जन हंसते हुए बताते हैं कि उस महिला सर्जन ने सोनोग्राफी रिपोर्ट देखी ही नहीं और कहा कि आप शाम को भर्ती हो जाईये, कल सुबह यूटरस निकाल देंगे, ये तो बेकार है आपके लिए, इसको रखने का क्या फायदा? उन्होंने फिर हंसते हुए कहा कि ये सर्जन दर्जी के समान हैं, जो काटना और सिलना जानता है। ये मनुष्य को कपड़े से ज्यादा कुछ नहीं समझते, काटो और सिल दो। उनके अनुसार हार्ट के मामले में इससे भी बड़ा गिरोह काम कर रहा होगा। उन्होंने कहा कि आईएमए कितना भी आमिर खान को माफी माँगने कहे किन्तु देश के अनेक हिस्सों में यही हो रहा है।

छत्तीसगढ़ के अंदर चलने वाला यह रेकेट इस बात का सबूत है कि स्त्रियाँ और बच्चे सभी तरह के अपराधियों के लिए बहुत आसान टारगेट होते हैं। राज्य में इस कांड के भंडाफोड़ होने के बाद से चिकित्सा से जुड़े, माने जाने वाले, शख्सियतों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। आश्चर्यजनक रूप से इतना बड़ा भंडाफोड़ होने के बाद भी राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां खामोशी धारण किये हुए हैं, केवल पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का ही एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पूरी निष्पक्ष जांच की मांग की है। राजनीतिक और चिकित्सा के हलकों में यह भी चर्चा है कि इसमें अनेक नामी गिरामी चिकित्सीय शख्सियतों के शामिल होने के चलते, यह भी संभव है कि लंबे समय तक जांच पड़ताल चला कर पूरे मामले को दाखिल दफ्तर कर दिया जाए। यदि ऐसा हुआ तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि छत्तीसगढ़ सभी तरह के अपराधियों के लिए स्वर्ग के समान है।

अरुण कान्त शुक्ला

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