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और हम देखेंगे अपने आँगन में दौड़ लगाती आजादी को,
ले आये हम भी बांस की खपच्ची में लिपटे कुछ झंडे
देंगे पोता पोती को ,
वो दौड़ेंगे आँगन में ले कर उनको
और हम देखेंगे अपने आँगन में दौड़ लगाती आजादी को,
सुबह जायेंगे झंडा फहराएंगे और खायेंगे लड्डू
कसम तिरंगे की, पकड़ हाथ में झंडा,
भूल जायेंगे काली राख, याद करेंगे जिंदल को
और कहेंगे जिंदल जी ए लॉट ऑफ़ थेंक्स टू यू,
कल होंगी सभाएं, कवि सम्मलेन और नेताओं की तकरीरें
अखबारों में छपेंगी राष्ट्र विधाताओं की तस्वीरें,
लम्बी लम्बी बहसों के बीच गहरे छुपा देंगे वो ये राज
कौन है वो जिसने तहस नहस की हैं मेरे भाग्य की लकीरें,
खोल दिया है कर्णधारों ने देश में एक रिवाल्विंग डोर
कोई आये आईएमऍफ़ से तो कोई जाए वर्ल्डबैंक की ओर,
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के आकाओं ने
अंग्रेजों से लेकर थमा दी है अमरीकियों को लोकतंत्र की डोर,
झंडे फहराएंगे, जश्न मनायेंगे, क्लबों और होटलों में जाम टकरायेंगे,
सब को सब कुछ करने की है यहाँ आजादी
तभी तो छूट है डाईटिंग की देश की आधी आबादी को,
और हम देखेंगे अपने आँगन में दौड़ लगाती आजादी को,
14अगस्त, 2013
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