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स्मृति स्वयं की ह्त्या के लिये माँ को उकसाने वालों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराएं …

दबंग आवाज
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मां को दी गई थी मुझे मारने की सलाहः स्मृति ईरानी

वैसे तो मंत्री बनने के बाद एक आदमी को कुछ भी बकवास करने का लाईसेंस मिल जाता है और लोग उनकी इन बकवासों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं लेकिन शुक्रवार को जो कुछ केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने भोपाल में छोटे बच्चों के बीच कहा है, उसे नजरअंदाज करना बहुत गलत होगा…

स्मृति ईरानी ने भोपाल के मॉडल स्कूल में बच्चों द्वारा पूछे गए कन्या भ्रूण हत्या संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि वह पहली बार यह खुलासा कर रही हैं कि वह जब पैदा हुई थीं तो कुछ लोगों ने बेटी को बोझ बताते हुए उनकी मां को उन्हें मार देने की सलाह दी थी । उन्होंने कहा, लेकिन मेरी मां बहादुर थीं और उन्होंने ऐसा नहीं किया तथा यही कारण है कि मैं आज आपके सामने खड़ी हूं।

यदि देश की मानव संसाधन मंत्री ऐसा कह रही हैं तो यह बहुत ही गंभीर बात है क्योंकि वे किसी भी हालत में अत्यंत दकियानूसी परिवार से नहीं आती होंगी| इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आज भी लुका छिपे कन्या भ्रूण नष्ट किये जाते हैं या कन्या जन्म के बाद कुछ मामलों में ह्त्या भी की जाती है| पर, यह भी महत्वपूर्ण है कि आजादी के बाद सरकारी स्तर पर और सामाजिक संगठनों के स्तर पर चलाये गए जागरण अभियानों के फलस्वरूप पिछले कुछ दशकों में इन मामलों में भारी कमी आई है| स्मृति बहुत उम्रदराज नहीं हैं| उनका जन्म आठवें दशक के अंतिम हिस्से(1976) में एक पंजाबी-बंगाली परिवार में दिल्ली में हुआ और उस लिहाज से उनकी माँ को कन्या हत्या की सलाह दिया जाना गंभीर अपराध की तरफ इशारा करता है और विशेषकर जबकि वे अपने माँ बाप की पहली संतान हों| इस बात की भी पूरी संभावना है कि वे आपराधिक और कुत्सित मानसिकता के लोग जिन्होंने उनकी माँ को ऐसा करने की सलाह दी थी, अभी ज़िंदा होंगे| इसलिए या तो स्मृति स्वयं होकर रिपोर्ट करें या फिर पोलिस या न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर स्मृति से पूछताछ कर कार्रवाई करे| यदि स्मृति इसमें सहयोग न करें तो फिर उन्हें गिरफ्तार करके उनसे पूछताछ की जाए|

यह मामला केवल भ्रूण ह्त्या का नहीं है| उनके पूरे बयान से ऐसा पता चलता है कि उनकी माँ के उपर यह दबाव स्मृति के पैदा होने के बाद आया, याने मामला ह्त्या के लिए उकसाने का है और यह किसी भी हालत में गंभीर अपराध है| पोलिस और न्यायालय को चाहिए कि स्मृति को तुरंत हिरासत में लें और उनसे पूछताछ करें कि किन लोगों ने यह सलाह उनकी माँ को दी थी|

यद्यपि उनके इस बात को कहने के बाद उपस्थित लोगों और बच्चों ने बहुत तालियाँ बजाईं , पर स्मृति की यह बात आम लोगों तक कुछ बहुत अच्छा सन्देश लेकर नहीं जाती है| जब स्मृति जैसा महत्वपूर्ण व्यक्तित्व कन्या ह्त्या या भ्रूण ह्त्या जैसे मामले को केवल लोकप्रियता के लिए इस्तेमाल करेगा और समर्थ हो जाने के बावजूद, उसके खिलाफ कदम नहीं उठाएगा तो समाज में तो ये सन्देश ही जाएगा कि कन्या हत्या या कन्या भ्रूण को नष्ट करना क़ानून की दृष्टि में भले ही अपराध हो पर सामाजिक रूप से यह एक साधारण बात है| यदि स्मृति चाहती हैं कि उनके इस खुलासे के बाद समाज में कोई गलत और नकारात्मक सन्देश न जाए तो उन्हें तुरंत स्वयं होकर उन लोगों के खिलाफ पोलिस में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए| केन्द्रीय मंत्री का पद वैसे ही बहुत महत्वपूर्ण होता है और फिर मानव संसाधन मंत्री की जिम्मेदारियां अलग होने के साथ साथ समाज में अपने आचरण से शिक्षा और चेतना फैलाने वाली भी होती हैं| इस लिहाज से भी स्मृति को इस बात को केवल भाषणों में बोलकर सस्ती लोकप्रियता के लिए भुनाने के बजाय, स्वयं होकर उन लोगों के खिलाफ पोलिस में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए|

इस मामले में प्रधानमंत्री को भी तुरंत हस्तक्षेप करते हुए स्मृति ईरानी से एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहना चाहिए या स्वयं सीबीआई को मामले में अनुसंधान करने के लिए आदेश देने चाहिए| ऐसा नहीं होने की दशा में आम लोगों के बीच यह सन्देश जाएगा कि प्रधानमंत्री ने अपने मंत्री मंडल में कुछ भी बोल कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाले बकवासी लोगों को जगह देकर रखी है|

अरुण कान्त शुक्ला
28 जून, 2014

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