Menu
blogid : 2646 postid : 762666

गनीमत है…

दबंग आवाज
दबंग आवाज
  • 139 Posts
  • 660 Comments

नागार्जुन ने जब कहा था

नागार्जुन ने जब कहा था
कि गनीमत है
कि पृथ्वी पर अब भी हवा है
और हवा मुफ्त है
तब ऐसा होता होगा…

अब तो बड़ी बड़ी अट्टालिकाओं ने रोक लिया है हवा को
और मुनाफाखोरों ने
अपने कारखानों से निकलते धुएं को
साफ़ करने के यंत्र न लगाकर
जहरीली बना दिया है हवा को
और हम चुकाते हैं
उसकी कीमत डाक्टर की फीस और दवा की कीमत देकर..

वे सारी जगह जिन्हें पार्क कहते है
अब मुफ्त नहीं हैं
देनी पडती है उसकी कीमत टिकिट खरीदकर
या कारपोरेशनों को टेक्स चुकाकर..

जो लगते हैं मुफ्त हैं
वहां कुत्तों का बसेरा होता है
या बैठे रहते हैं वहां आवारा जोड़े
जिन्हें कभी एक नहीं होना है..

वह साफ़ समुद्र जो छूने लायक है
उसे और उसके तट को बेच दिया है सरकारों ने
धन्नासेठों को पर्यटन और विकास के नाम पर
वहां प्रवेश की टिकिट लगती है
जिसकी कीमत
जो हमारे दो वक्त के आलीशान भोजन से
ज्यादा होती है…

और सूर्योदय और सूर्यास्त
वह तो अब बहुमंजिला इमारतों के लिए
सुरक्षित हो गया है..
हमें तो सूर्य की तपिश झेलनी पड़ती है
जब वह आता है हमारे सर के ऊपर..

नागार्जुन तुम्हें गए ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है
पर, हवा, पार्क, समुद्र , सूर्योदय और सूर्यास्त
हमारे लिए हो चुकी हैं
गुजरे जमाने की चीजें…

अब हम विटामिन डी सूर्य से नहीं
केपसूल में लेते हैं
शुद्ध हवा के लिए नाक पर कपड़ा लपेटकर चलते हैं
पार्क में कुत्तों और शोहदों से डरते डरते जाते हैं
और सूर्योदय और सूर्यास्त
गनीमत है
वह हमें टीव्ही दिखा देता है…

अरुण कान्त शुक्ला
11 जुलाई, 2014

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh