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फिर आपका चेहरा क्यों उतरा हुआ है जी..

दबंग आवाज
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बजट मरणासन्न अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी है : प्रधानमंत्री

बजट : ‘मरणासन्न अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी’|
बजट : ‘जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं को विश्वास’ में बदलने वाला|
बजट : ‘भारत को तरक्की की नई ऊंचाइयों’ पर पहुंचाएगा।
बजट : ‘गरीबों और समाज के वंचित तबकों के लिए उम्मीद की किरण’|
बजट : ‘अंतिम पंक्ति में खड़े आदमी के लिए एक संजीवनी और अरुणोदय’|
बजट : ‘जनभागीदारी और जनशक्ति को बढ़ावा देगा’|
बजट : ‘भारत को आधुनिक टेक्नॉलजी यूज करते हुए और ज्यादा डिजिटल बनाने की कोशिश है।’
बजट : ‘समावेशक, सर्वदेशक और सर्वस्पर्शी |’
बजट : ‘देश के उन क्षेत्रों तक पहुंचना चाहिए जो अभी तक विकास से अछूते हैं।’
बजट : ‘मुश्किल समय के बावजूद ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र की तर्ज पर’|

उपरोक्त शब्दावली आपकी समझ में आई | यदि नहीं आई तो जरुर आपने अपना दिमाग इस्तेमाल करने की कोशिश की होगी | दिमाग मत लगाईये ..मोदी भक्त बनिये| इतने बड़े बड़े भारी भारी शब्द कभी अटल जी ने भी नहीं बोले थे ..यदि बोले होते तो जनता उन्हें दूसरी बार भी मौक़ा देती..| मनमोहन तो बोलते ही नहीं थे..माँ-बेटे बोलने ही कहाँ देते थे? अब बोलने वाले मिलें हैं आपकी कृपा से आपको भी और हमें भी तो सुनिए और भाषाई सम्मोहन में बहिये ..आनंद लीजिये| जेटली जी ने कह ही दिया है कि मंहगाई कंट्रोल करना सरकार का काम नहीं है| टमाटर का क्या..वो तो नाशवान चीज है..कभी किसान उसे कीमत नहीं वसूल हो पा रही इसलिए सड़क पर फेंक देते हैं तो कभी आप उसे साठ रुपये किलो खरीदते हैं! ये मायावी दुनिया है..प्याज वैसे ही तामसी आहार है..उसे तो हाथ भी नहीं लगाना चाहिए..| गेंहूँ..दाल..चावल..तेल..सब्जियां..आप भी क्या गरीबों जैसे बात करते हैं? हमें रईसों का भारत बनाना है..ये कोई मौनीबाबा का ज़माना नहीं है..अब मोदी जी का राज है..गौरव पथ पर चलिए..स्मार्ट सिटी में रहिये..तीर्थ यात्राएं करिए..विदेश जाईये 45 हजार का सामान लाईये..एलईडी, एलसीडी सस्ते कर दिए हैं 24 घंटे का चैनल अरुण प्रभा देखिये या किसान टीव्ही देखिये..जूते सस्ते हो गए हैं..जैसा आप चाहें उपयोग करें| स्टील सस्ता हो रहा है..स्टील खाएं.. स्टील पहनें और स्टील जैसे सोयें| इनकम टेक्स में कितनी छूट मिली है..कभी देखी थी इतनी छूट| ऐश करिए ऐश..देखिये रेडीमेड कपड़े मंहगे कर दिए.. क्यों ? अरे भाई..आपने वो विज्ञापन नहीं देखा ..अच्छा पहनें ..अच्छे रहें..| फिर अच्छे दिन तो अपने आप आ जायेंगे न..!

बस एक बात न पूछें ..कि ..जब बजट इतना अच्छा है तो प्रधानमंत्री जी आपका चेहरा क्यों उतरा हुआ है जी ..?

अरुण कान्त शुक्ला

10 जुलाई, 2014

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