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राजनाथ सिंह के बेटे का हित मतलब देश का हित..
आज पता चला साहब देश हित श्री राजनाथ सिंह के बेटे का हित है,
यदि राजनाथ सिंह के बेटे के हित को नुकसान पहुंचा तो देश के हित को नुकसान पहुंचेगा,
फिर तो राजनाथ सिंह के बेटे की सेवा मतलब देश की सेवा,
मतलब राजनाथसिंह के बेटे की रक्षा कर लो तो देश की रक्षा हो जायेगी,
फिर, बार्डर पर ये पूरी फ़ौज लगाकर रखने का क्या मतलब,
राजनाथ सिंह के बेटे के चारों और फ़ौज लगा दो,
बेटा बचा रहेगा तो देश बचा रहेगा,
हम तो चले भैया राजनाथ सिंह के बेटे की सेवा करने,
मतबल, देश की सेवा करने,
अब भैय्या, हमें कोई पागल नहीं कहना,
का कि ये बात तो पीएमओ कह रहा है,
हमें पागल कहोगे मतबल पीएमओ को नाराज करोगे,
और हमें मालूम है कि अभी जो ये पीएमओ है,
ये मनमोहन सिंह वाला कमजोर,
निर्णय लेने में ढीला-पोला,
माँ-बेटे के कहने पर चलने वाला,
गठबंधन की मजबूरी से लाचार पीएमओ नहीं है,
पूरा 56 इंची पीएमओ है,
इसे नाराज करोगे तो…फिर समझ लो,
इसलिए भैय्ये, ये आरोप वारोप छोड़ो और राजनाथ सिंह के बेटे की सेवा करने चलो,
देश सेवा का इतना अच्छा और सुलभ मौक़ा फिर कहां मिलेगा,
अब हमारे ऊपर विश्वास न हो,
तो ये लो ये प्रधानमंत्री कार्यालय की चिठ्ठी पढ़ लो,
अपने पास पेशल आई है,
एकदम पेशल चाय के माफिक,
ताजी ताजी…|
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
प्रधानमंत्री कार्यालय
27-अगस्त-2014 14:54 IST
प्रधानमंत्री कार्यालय का बयान
केन्द्र सरकार के कुछ मंत्रियों के आचरण और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के पुत्र के खिलाफ कदाचार के आरोपों के बारे में मीडिया के एक वर्ग में पिछले कई सप्ताहों से आ रही रिपोर्टों पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी किया है।
ये रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी, प्रायोजित हैं। ये रिपोर्टें किसी व्यक्ति के चरित्रहनन का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है तथा सरकार की छवि को धूमिल करने वाली हैं।
जो लोग इस तरह की अफवाहें फैलाने के काम में लगे हैं, वे देश हित को हानि पहुंचा रहे हैं।
ऐसी रिपोर्टों का दृढ़ता से खण्डन किया जाता है।
विजयलक्ष्मीो कासोटिया/डीएस/सीके-3381
मॉरल ऑफ दी व्यंग्य…
तो भैय्ये, आपने सरकार की चिठ्ठी पढ़ ली,
अब जैसा कि हर स्टोरी के बाद होता है,
हर स्टोरी का एक मॉरल ऑफ दी स्टोरी होता है,
मॉरल ऑफ़ दी स्टोरी याने कहानी से शिक्षा,
तो व्यंग्य के बाद हुआ,
मॉरल ऑफ दी व्यंग्य, याने व्यंग्य से शिक्षा,
तो शिक्षा यह है भैय्ये,
कि नेताओं के बेटों पर कदाचार के आरोप हमेशा झूठे होते हैं,
प्रायोजित होते हैं,
पर प्रायोजकों के नाम गुप्त होते हैं,
नेताओं के बेटों का चरित्र ही सरकार का चरित्र होता है,
नेताओं के बेटों की छवि जैसी ही छवि सरकार की होती है,
और जो इस छवि को नुकसान पहुंचाते हैं,
देश के हित को नुकसान पहुंचाते हैं,
तो, नेताओं के बेटों की सेवा करो,
देश सेवा का ये सबसे सुलभ और सुरक्षित और सस्ता रस्ता है|
आओ, नेताओं के बेटों की सेवा करें,
अर्थात, देश की सेवा करें|
अरुण कान्त शुक्ला, 27/8/2014
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