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राष्ट्रवादी जी की सुपर-डुपर हिट “मेरी सरकार” पर एक निबंध –

दबंग आवाज
दबंग आवाज
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मेरे देश के एक तिहाई मतदाताओं ने देश की राजनीति के अन्दर व्याप्त एकरसता, एक ही प्रकार के भ्रष्टाचार, बार बार दोहराए जाने वाले धर्मनिरपेक्षता के नारों, पड़ौसी देशों के साथ होने वाली सीमा-उल्लंघन की घटनाओं को युद्ध तक नहीं ले जा पाने की विफलताओं, अल्पसंख्यकों को डराकर नहीं रख पाने की सरकार की असफलताओं और विशेष रूप से उस समय के सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व में हास्य पैदा करने वाले गुणों के अभाव और उनके लगातार मौनव्रत पर रहने के स्वभाव से बोर होकर माननीय राष्ट्रवादी जी चुनाव प्रचार के दौरान किये गए हवाई वायदों और प्रस्तुत हास्य प्रसंगों से प्रेरित होकर, आमचुनाव-2014 में सांस्कृतिक दल को अभिनव बहुमत से जिताया और तब राष्ट्रवादी जी के नेतृत्व में “मेरी सरकार” का गठन हुआ| मेरी सरकार के गठन से वे सभी लोग जो राजनीति को नौटंकी, राजनीतिज्ञों को नौटंकीबाज के रूप में देखना पसंद करते थे और राजनीति में हमेशा हास्य ढूंढते रहते थे, बड़े खुश हैं| ‘मेरी सरकार’ के बनने के बाद से राजनीतिक विश्लेष्ण बहुत आसान हो गया है और अधिकाँश फिल्म विश्लेषक राजनीति के क्षेत्र में हाथ आजमाने लगे हैं| राजनीतिक विश्लेषक फिलहाल देश में नौटंकी का जन्म और विकास विषय पर अध्यन और शोध कर रहे हैं| ऐसे ही एक विश्लेषक का कहना है कि ‘मेरी सरकार’ हास्य कलाकार महमूद की लगभग चार दशक पुरानी फिल्म ‘साधु और शैतान’ से प्रेरित है|

“मेरी सरकार” का थीम सांग आम-आदमी पर है| जिसके बोल हैं “हंसते हुए रोना सीखो, रोते हुए हंसना”| टेक्सी की भूमिका में सरकार है| महमूद का टेक्सी ड्राईवर वाला प्रमुख रोल राष्ट्रवादी जी अदा कर रहे हैं| टेक्सी में पिछली सीट पर लाश की भूमिका में आम-आदमी है और उस पर किशोर कुमार की गायक, संगीतकार की भूमिका में देश के उद्योगपति पाँव रखकर नई नई धुनें रच रहे हैं| “मेरी सरकार” के फायनेंसर देश के उद्योगपति हैं, वितरक देश के सांस्कृतिक संघ हैं और निर्माता देश के वे 32% मतदाता हैं, जो उस समय के प्रधानमंत्री के लगातार 10 साल के मौनव्रत पर रहने के कारण उनकी सरकार से बोर हो चुके थे और उन्हें राष्ट्रवादी जी के भाषणों में भरपूर मनोरंजक सामग्री प्राप्त हो रही थी| फायनेंसर-वितरक-निर्माता आज भी दिन रात “मेरी सरकार” के गुण-गान में भिड़े रहते हैं| मेरी सरकार, उसके कलाकार या कलाकारों की अदाकारी की तनिक भी आलोचना होने से मेरी सरकार के फायनेंसर-वितरक-निर्माता भौंकते हुए आलोचना करने वालों को काटने दौड़ पड़ते हैं|

“मेरी सरकार” की ज़रा भी आलोचना मीडिया में न हो पाए यह सुनिश्चित करने के लिए “मेरी सरकार” के नायक राष्ट्रवादी जी ने दो दिनों पूर्व अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सभी अखबारों और खबरिया चैनलों के संपादकों, रिपोर्टरों, पत्रकारों, एंकरों, स्तंभकारों के हाथों में थमी कलम को बेकार बताते हुए उन्हें कलम की जगह झाड़ू थमा दी है और उनसे आग्रह किया है कि वे टेक्सी के आगे आगे सड़क पर झाड़ू लगाते हुए चलें ताकि “मेरी सरकार” पूरे पांच साल हिट रहे|

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि सभी खबरिया चैनल और अखबारों ने कलम को झाड़ू समझने के राष्ट्रवादी जी के प्रस्ताव को कातर ध्वनी से स्वीकार कर लिया है| इन चैनलों और अखबारों ने राष्ट्रवादी जी के लिए किये जा रहे चुनावी प्रचार में परफेक्ट चमचे की भूमिका निभाई थी| अब राष्ट्रवादी जी इन्हें उसी दायित्व का हवाला देकर फिर अपनी सरकार के प्रचार को सतत जारी रखने कह रहे हैं, जिसे इनमें से कोई भी न नहीं कह सकता है| न नहीं कह पाने का प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि देश के अधिकाँश चैनल और अखबार किसी न किसी बड़े उद्योगपति के स्वामित्व में हैं और जो कुछ छोटे-मोटे निजी स्तर पर हैं, उन्हें सरकार से विज्ञापन और पेड़ न्यूज मिलती है, इसलिए सभी राष्ट्रवादी जी से विज्ञापन प्राप्त करने के लिए दोनों टांग पर खड़े हैं|

देश के बचे हुए 68% वोटरों में से कुछ तो सीधे सेटेलाईट से उनके घरों में जबरिया दिखाई जा रही इस फिल्म के प्रसारण से भौंचक्के हैं| इन में से अधिकाँश लोगों ने खबरिया चैनलों से तौबा करके हास्य रियलिटी शो देखना शुरू कर दिया है जो उनके हिसाब से खबरिया चैनलों द्वारा दिखाई जा रही फिल्म “मेरी सरकार” से कम घटिया हैं| कुछ अन्य जो राष्ट्रवादी जी के गुणों से पहले से वाकिफ थे, आजकल सोशल साईट्स पर दिन रात एक ही मन्त्र जपने में लगे है कि हमने तो पहले ही कहा था..हमने तो पहले ही कहा था| ऐसे लोगों की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह सुनी जा रही है और “मेरी सरकार” के फायनेंसर-निर्माता-कलाकार ऐसे लोगों की तरफ हिकारत से देखते हैं और उन्हें बुद्धू-जीव कहकर उनका सम्मान कम करते हैं|

देश की राजनीति में चल रही इस सुपर-डुपर हिट “मेरी सरकार” को न केवल हमारे देश के पड़ौसी देश बल्कि दुनिया की सुपर पावर का हिस्सा माने जाने वाले देश भी उतनी ही कौतुहल से देख रहे हैं, जितनी कौतुहल से वे एक जमाने में साँपों के नाम से जाने वाले हमारे देश को देखते थे| यद्यपि हाल ही में राष्ट्रवादी जी स्वयं दुनिया को यह बता चुके हैं कि उनके “मेरी सरकार” में नायकत्व संभालने के बहुत पहले, यहाँ तक कि उनकी पहली फिल्मनुमा सरकार “मेरी राज्य सरकार” में भी नायकत्व संभालने बहुत पहले ही हमारे देश के लोगों ने बहुत तरक्की कर ली थी और साँपों की जगह चूहों से खेलते हुए दुनिया को नचाना शुरू कर दिया था| दुनिया को ऐसा बताने के बावजूद राष्ट्रवादी जी देश के लोगों को यही बताते हैं कि देश में पिछले 60 सालों में कुछ भी नहीं हुआ है|

राष्ट्रवादी जी गंभीर प्रकृति के स्वभाव के मालिक हैं और इन्हें देशवासियों को गांधी के नाम पर झाड़ू लगाने, राधाकृष्णन के नाम पर चुटकुले सुनाने, रोजगार के नाम पर मेक इन इंडिया के सपने दिखाने का शौक है| अपने इस शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने निर्णय लिया है कि वे दूरदर्शन पर हर माह अपनी मन की बात देश के लोगों से कहेंगे, जिसे कहने की जरुरत नहीं, देश का प्रत्येक खबरिया चैनल अनिवार्य रूप से सभी देशवासियों को सुनाएगा और वह भी बिना ब्रेक| एक बिलकुल नहीं बोलने वाले प्रधानमंत्री की जगह सिर्फ बोलते रहने वाले राष्ट्रवादी को पाकर देश के बुद्धू-जीव धन्य हैं| देशवासियों की गरीबी इन्हें गंभीर बनाए रखती है| इसीलिये, जैसे ही राष्ट्रवादी जी अम्बानी और अदानी जैसे अमीरों के बीच पहुँचते हैं तो बहुत खुश हो जाते हैं| इनकी सरकार गरीबों के लिए है और सरकार का खजाना और नीतियाँ अम्बानियों और अदानियों के लिए हैं|

दरअसल राष्ट्रवादी जी का दृण विश्वास यही है कि हमारे देश के लोगों को वही सत्य बताया जाना चाहिए जो वो समझते हैं| दुनिया के लिए जो सच है वह देश के लोग नहीं समझ सकते| इसलिए उनसे यही कहो कि देश ने पिछले 60 साल में कोई तरक्की नहीं की है| जो भी तरक्की उन्हें दिख रही है, वह मिथ्या है, माया है, उस पर विश्वास मत करो| केवल उसी बात पर विश्वास करो, जो मैं कह रहा हूँ| याद रखो तुम्हारे लिए मैं ही एकमात्र सत्य हूँ | बाकी सब असत्य है, मिथ्या है|

देश में अनेक ऐसे लोग भी हैं जो दबी जबान से(डर के मारे)यह कहने में नहीं चूकते कि दुनिया अब हमारे देश को फिर कौतुहल से इसलिये देखने लगी है कि राष्ट्रवादी जी के नायकत्व में फिल्मनुमा “मेरी सरकार” बनने के बाद साँपों का युग वापस आ रहा है और चूहे डरकर भाग रहे हैं|

दुनिया में हमारे देश के लिए पैदा हुए कौतुहल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि “मेरी सरकार” बनने के तीन माह के भीतर ही दुनिया के कई देश राष्ट्रवादी जी को लाईव परफारमेंस देने के लिए अपने देश बुला चुके हैं| राष्ट्रवादी जी के विदेश में दी गई लाईव परफार्मेंस की अपने देश के मीडिया ने जार-जार, तार-तार, होकर गला फाड़-फाड़ तारीफ़ की है| राष्ट्रवादी जी इस सफलता से बदबदायमान हैं और हाल ही दो राज्यों में हुए चुनावों में उनकी पार्टी को मिली सफलता को जिस तरह देश के झाड़ू मीडिया ने अभूतपूर्व सफलता बताया है, उससे राष्ट्रवादी जी की बदबदाहट में निश्चित रूप से और वृद्धि हुई होगी| कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे प्रेरित होकर राष्ट्रवादी जी उनकी शर्ट की बांह में छिपे उन बिच्छुओं को फिर खुला छोड़ सकते हैं, जो उनके आलोचकों को साम-दाम-दंड-भेद से सीधा रखने में माहिर माने जाते हैं| यद्यपि उपचुनावों में इसका कोई फ़ायदा तो दूर, उनकी पार्टी को नुकसान ही उठाना पड़ा था| इसीलिए दो राज्यों के चुनावों में राष्ट्रवादी जी ने इस हथकंडे से बचना ही ठीक समझा था| बहरहाल फिल्म “मेरी सरकार” हाल खाली पड़े रहने के बाद भी हिट चल रही है, इसमें कोई शक नहीं! क्योंकि टक्कर की कोई दूसरी फिल्म न तो मार्केट में है और न ही जल्दी ही किसी अन्य टक्कर की फिल्म के रिलीज होने की संभावना है|

अरुण कान्त शुक्ला
29/10/14

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